यूपी
राममय भारत राष्ट्र में कांग्रेस का यू-टर्न क्या संदेश है पर विशेष – वरिष्ठ पत्रकार “अजय कुमार मांझी”
अयोध्या धाम
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की पावन धर्म नगरी अयोध्या , लेखक वरिष्ठ पत्रकार वरिष्ठ साहित्यकार अजय कुमार मांझी , कांग्रेस का फैसला उनकी दृष्टि में जरूर अच्छा होगा पर जनमानस के हिसाब से कांग्रेस का अयोध्या राम मंदिर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं शामिल होना ठीक बात नहीं है। राम सबके है सबमें राम है तो फिर ऐसा क्यों यह उनकी पार्टी के कुछ राम भक्तों को भी समझ नहीं आ रहा है वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपना दर्द बयां किया है। यहां फैसला कांग्रेस के लिए जरूर मास्टर स्ट्रोक होंगा जनता में इसका क्या संदेश जाएगा या सोचना भी जरूरी है। जिस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हमेशा ही राम से नाता जोड़े रखा साथ नहीं छोड़ा उनकी प्रार्थना सभा में राम नाम का गुणगान होता था और जब उन्हें गोली लगी और उनके प्राण निकले तो आखिरी शब्द उस महापुरुष की जुबान पर हे राम ही था। आज भारत की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्टी में कांग्रेस अपने महान पुरुष की अवहेलना कर रही हैं। जिस कांग्रेस पार्टी ने कई वर्षों तक सत्ता चलाई उनकी सोच में हिन्दूओं के अराध्य मार्यदा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम का कोई स्थान नहीं है, क्या सिर्फ राजनीति की कड़ियों को क्यों जोड़ा जाता रहेगा। सिर्फ राजनीति को आगे बढ़ने व अपनी बात मनवाने से क्या कांग्रेस का परिदृश्य साफ हो जायेगा? कांग्रेस पार्टी को सब पाता है कि राम जन्म भूमि मंदिर आंदोलन व भव्य मंदिर निर्माण हमारे देश का सर्वोच्च न्यायालय व संविधान के अनुसार ही हो रहा है कडे परिक्षण के बाद न्यायपालिका ने मंदिर निर्माण हेतु आदेश दिया। वहीं मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम की तैयारी कई महीनों से पहले हो चुकी थी, अगर इसी साल लोकसभा चुनाव आने वाले हैं तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। हमारे लिए राम पहले हैं पर चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के लिए चुनाव जरूरी है तभी तो राम से दूरी चुनाव से नजदीकी बनाने का प्रयास जारी हैं। अन्य विपक्षी दल भी क्या कांग्रेस को फायदा पहुंचाना चाहते हैं या देखना समय का काम है आस्था विश्वास व सनातन प्रेम सिर्फ क्या दिखावा है? कांग्रेस अपनी सोच में सकारात्मक ऊर्जा क्यों नहीं लाती है। क्यों वह देश की नब्ज पकड़ नहीं पाती है। इतने उतार चढ़ाव के बाद शिखर से शुन्य की और वह क्यों बढ़ती जा रही है। चार दिवारी में फैसला अब भी क्यों होते है आलाकमान के ? क्यों शुभ प्रसंगों से कांग्रेस दूर होती जा रही है, जब तक कांग्रेस देश की जनता व राष्ट्र के प्रति पूर्ण रुप से समर्पित नहीं होगी तब तक विचारधाराओं के भंवर में उनका यह जहाज हिंडोले खाता रहेगा। कभी राम के अस्तित्व पर सवाल तो कभी राम उत्सव से दूरी क्या है, एक और एकता व अखंडता की बात गंगा जमुनी तहजीब में विश्वास की परिकल्पना और भाई चारे शांन्ति अमन का पैगाम दुसरी तरफ सनातन संस्कृति व हिन्दू धर्म से कांग्रेस की दूरी कहीं कांग्रेस को राजनीति में महंगी नहीं पड़ जाये। समय अनुकूल परिस्थितियों मे बदलाव जरूरी है और परिवर्तन संसार का नियम है इसी के चलते वैचारिक मतभेद व व्यावहार में बदलाव की आहट जरूरी है। कब तक उन्हीं घिसे-पिटे व संयमित शब्दों से पूर्ण विराम का संदेश देते रहेंगे, देश बदल रहा है लोकतंत्र की इस धूप छांव में विपरीत दिशा में बढ़ती कांग्रेस ना जाने और क्या दिखायेंगी।आज जब भारत उत्सव उमंग के सबरंग लिए रंग-बिरंगी पतंगों की डोर के साथ राम मय हो रहा है, ऐसे समय भारत की विरासत संस्कृति सभ्यता और आस्था के धागे से नहीं बंध पाना राजनीति में कांग्रेस का यू-टर्न भविष्य में क्या दिखायेगा ? यह बात अच्छे अच्छे बुद्धिजीवी को भी समझ नहीं आ रही है। कांग्रेस में राजनीति की विरासत में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास कराया था तब अपने भाषणों में रामराज्य की बात कही थी , क्या राजनीति के लिए राम का सहारा नहीं लिया ? हर वक्त विपरीत दिशा में अपने कदमों को बढ़ाने का फायदा कितना मिलेगा , देश की विपक्षी पार्टियों की सिरमौर कांग्रेस को यह तो आने वाला समय बताएगा। आखिर क्यों इस तरह शुभ प्रसंग या मंगल मय पवित्र वातावरण की शुद्धता को देखते हुए रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे पर राजनीति में हिन्दुओं के प्रति उनके धर्म आस्था पर अनाप-शनाप बोलने वाले या हमारी आस्था पर अपनी राजनीति के लिए धर्म की दिशा से दूरी उनको कहीं महंगी नहीं पड़ जाये। भगवान राम सद्बुद्धि जरुर देगे , क्योंकि जैसी रही जिसकी भावना प्रभु मूरत वह पाईं वैसी । अब जब पूरा विश्व राममय भारत की संप्रभुता व आस्था व लोकतांत्रिक व्यवस्था से राम राज्य की और बढ़ रहे हैं तो कांग्रेस का अयोध्या मे राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी कई सवालों को जन्म दे रही है , जल्दी बाजी में जनता में कांग्रेस का यू-टर्न कही गलत नहीं साबित हो जाये इस पर गंभीरता से चिंतन की आवश्यकता है । क्योंकि राम जी ही करेंगे बेड़ा पार, इस लिए राम से दिल लगाना अच्छा है, वह मार्यदा पुरुषोत्तम का चरित्र भारत के लिए मील का पत्थर सदियों तक रहेंगे क्यों 500 सालों का संघर्ष अब विराम की और है ।