यूपी

श्रवणबाधित मानसी के शास्त्रीय नृत्य पर झूमा राम कथा पार्क

अयोध्या धाम
रामोत्सव के रंग को राम कथा पार्क अयोध्या में गीत संगीत नृत्य से कलाकारो की प्रस्तुतियां और भी चटख कर रही है।अपराह्न सत्र में जहां श्रद्धालुजन मानस के विविध प्रसंगों का सरस व्याख्यान सुनकर आनंदित होते हैं वहीं सांस्कृतिक संध्या में पहले आकाशवाणी और दूरदर्शन की प्रख्यात कलाकार सुरुचि उपाध्याय अपने मीठे स्वर में सबसे पहले अयोध्या के वातावरण को चित्रित करते हुए गाया बड़ा सुघर सजल बा अवधपुरी तो ऐसा लगा मानो अयोध्यापुरी  के सभी साक्षात दर्शन कर रहे है। भगवान राम के बाल रूप की सराहना करते हुए चंदा मामा आरे आवा पारे आवा गाकर पारंपरिक लोरी सुनाई तो पंडाल में उपस्थित सभी भक्त अपने बालपन से रामलला के बालपन को जोड़कर देखने लगे इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अयोध्या से मिथिला की परंपरा को अवगत कराया मिथिला मगन भाई आज। मिथिला के उल्लास को अयोध्या के उल्लास से जोड़ते हुए उनकी अगली प्रस्तुति थी मिथिला का कण कण बा खिला।
इसके बाद मंच पर सुषमा गुप्ता और उनके दल ने अपनी प्रस्तुति दी। भगवान श्री राम के जन्म पर चैती प्रस्तुत करते हुए चैतई की तिथि नवमी गई और इसके बाद बधइयां गाकर श्री रामजी की प्राण प्रतिष्ठा को श्रद्धा निवेदित की । रामलला के बाल रूप की स्तुति करते हुए उन्होंने गाया मोरे राम के छोटे-छोटे पांव तो आस्था की एक लहर पूरे पंडाल में दौड़ गई।
लोक भजनों के रंग में डूबे दर्शकों को देवभूमि उत्तराखंड से आई निकिता के दल ने गढ़वाली लोक नृत्य चैता की चैताली प्रस्तुत करके वहां की निश्चलता से सभी को मोह लिया। मस्ती और साफगोई के लिए प्रख्यात हरियाणा के कलाकारो ने अपनी रंग बिरंगी परिधानों में लाठी और ढपली लेकर अपना पारंपरिक नृत्य धमाल प्रस्तुत किया तो पूरे पांडाल में मस्ती और उल्लास का वातावरण पसर गया।हरियाणवी बोली और वाध्ययंत्रों की धुन पर सभी थिरकने लगे।
नृत्यों के माध्यम से रामजी की आराधना के बाद प्रदीप कुमार त्रिपाठी के दल ने कठपुतली के माध्यम से लवकुश प्रसंग का सजीव मंचन करके सभी को स्तब्ध कर दिया। सीता का निर्वसन,वाल्मिकी आश्रम में प्रश्रय,लवकुश की शिक्षा और संस्कारो की दीक्षा सबकुछ इतना सहज था कि दर्शक त्रेता युग का अहसास कर रहे थे। अश्वमेध यज्ञ के दौरान अश्व को बांधने और एक एक कर लक्ष्मण, भरत,शत्रुघ्न,को पराजित करने का दृश्य सभी को रोमांचित कर रहा था। महाबली हनुमंत लाल को देखते ही लवकुश को पहचान लेना और भाववश स्वयं को बंधन के बंधवा लेना  भावुक कर गया। कठपुतलियों का संचालन,संवाद और वेशभूषा सब कुछ बेहद प्रभावी था।
गहराती रात के साथ मंच पर काशी से आई शुभांगी सिंह और दल ने भरतनाट्यम शैली में राम स्तुति के बाद रामायण के प्रसंगों को मंचित  किया।
इसके बाद मानसी श्रीवास्तव ने भरतनाट्यम के माध्यम से पंचमूर्ति कौत्यम प्रस्तुत किया। रामायण शब्दम से रामजी के जीवन प्रसंगों को प्रस्तुत करके सभी को विभोर कर दिया। मानसी श्रीवास्तव श्रवण बाधित होने के बावजूद जिस तरह चपलता से संगीत की धुन पर पर सुर और ताल के साथ नृत्य कर रही थी उसने सभी को अचंभित कर दिया और पूरा पांडाल तालियों को गूंज गया।
इटावा से आई रीना यादव के दल ने ब्रज  मंडल की आराधना के बाद राधा कृष्ण की स्तुति पर नृत्य  किया तो वातावरण में राधे राधे का उद्घोष होने लगा। वहीं जेहर नृत्य के करतबों को देखकर दर्शकों ने अपने दांतो तले उंगली दबा लिया।सर पर छह घड़े लेकर दो घड़ों पर खड़े होकर हाथो में घड़े लेकर किया गया नृत्य सभी को विस्मित कर गया संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने प्रभावी अंदाज में किया। अंतरराष्ट्रीय रामायण एवम वैदिक शोध संस्थान के निदेशक डा लवकुश द्विवेदी ने सभी कलाकारो का सम्मान स्मृति चिह्न देकर देकर किया।इस अवसर पर अतुल कुमार सिंह,दीपशिखा,ऋतिका,रामानुज,गोपाल सिंह,भारती,राजेश समेत भारी संख्या में संतजन और श्रद्धालु उपस्थित रहे।

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