साल के बारहाें महीने हाे चाैरासी काेसी परिक्रमा: महंत जयराम दास
अयोध्या धाम
सदगुरु कृपा मंडल के तत्वाधान में 84 काेसी परिक्रमा पूरी कर अयाेध्याधाम लाैटे परिक्रमार्थियों का बुधवार को प्रसिद्ध पीठ श्रीरामाश्रम रामकाेट में भव्य स्वागत किया गया। जहां श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास वेदांती महाराज ने परिक्रमा में शामिल सभी साधु-संतों एवं भक्तजनाें का रामनामा ओढ़ाकर स्वागत-सम्मान किया। उसके बाद सभी परिक्रमार्थियाें ने श्रीराम आश्रम में भंडारा प्रसाद पाया। इससे पहले चाैरासीकाेसी परिक्रमा में शामिल हजारों की संख्या में साधु-संतों और भक्ताें के जत्थे ने पाैराणिक रामकाेट की परिक्रमा किया। रामकाेट परिक्रमा पूरी कर परिक्रमार्थी बड़ी यज्ञवेदी स्थित सीताकुंड के लिए रवाना हो गए। जहां उनके द्वारा सीताकुंड की भी परिक्रमा किया गया। फिर सभी परिक्रमार्थी प्रतिष्ठित पीठ श्रीरामाश्रम रामकाेट पहुंचे। वहां उन्होंने भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। उसके बाद श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास वेदांती महाराज द्वारा परिक्रमार्थियाें का भेंट-विदाई किया गया। फिर 84 काेस परिक्रमा का समापन हुआ। श्रीरामाश्रम पीठाधीश्वर महंत जयराम दास वेदांती ने कहा कि 84 काेसी परिक्रमा में शामिल सभी साधु-संतों का आश्रम पर स्वागत हुआ। सभी संताें का भेंट-विदाई किया गया। चाैरासी काेसी परिक्रमा बहुत ही पाैराणिक परिक्रमा है। जाे अनवरत चलती रहनी चाहिए। साल के बारहाें महीना यह परिक्रमा हाे। इससे हमारे सनातन धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार हाेगा। सनातन धर्म काे मजबूती और लाेगाें काे परिक्रमा करने की प्रेरणा मिलेगी। श्रीसदगुरू कृपा मंडल अयाेध्याधाम 84 काेसी परिक्रमा के संचालक स्वामी गयाशरण ने कहा कि चौरासी कोस की परिक्रमा से भक्तों का जीवन धन्य हो जाता है। लाखों वर्ष की प्राचीन परंपराओं को जीवंत करने वाले भक्तों की समर्पण और भक्ति को सदा नमन है। उत्साह और उमंग से यह परिक्रमा हर वर्ष निकल रही है। अनंत काल से चली आ रही चौरासी कोसी परिक्रमा जीवन के कष्टों, व्याधियों से मुक्त करा प्रभु चरणों में समर्पित होने का माध्यम है। विगत 23 अप्रैल पूर्णिमा के दिन श्रीसद्गुरु कृपा मंडल के तत्वाधान में अयाेध्या से मखाैड़ा धाम के लिए 84 काेसी परिक्रमार्थियाें का जत्था रवाना हुआ था। 24 अप्रैल को मखाैड़ा धाम में पूजन-अर्चन के बाद परिक्रमा प्रारंभ हुई। जाे विभिन्न पड़ावाें से हाेते हुए 14 मई को सुबह मखभूमि और सायंकाल अयोध्याधाम पहुंची। बुधवार को सुबह 84 काेसी परिक्रमा में शामिल सभी साधु-संतों एवं भक्तजनाें ने गाजे-बाजे, जय श्रीराम के गगनभेदी उद्घोष और सीताराम संकीर्तन संग रामकाेट की परिक्रमा और उसके बाद सीताकुंड की परिक्रमा किया। फिर परिक्रमा का समापन हुआ। जानकी नवमी पर सीताकुंड में रामार्चा पूजन व संताें के भंडारे का कार्यक्रम हाेगा।