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ईको टूरिज्म से पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा तथा रोजगार के अतिरिक्त अवसर मिलेंगे -डॉ0 अरूण कुमार सक्सेना
लखनऊ
उत्तर प्रदेश में ईको टूरिज्म पर ‘संवाद’ कार्यक्रम का आयोजन आज इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के मरक्यूरी हॉल में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन और पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग डॉ. अरुण कुमार सक्सेना एवं आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ की गरिमामयी उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलन के साथ शुभारम्भ हुआ। इस अवसर पर वन मंत्री डॉ0 अरूण कुमार सक्सेना ने कहा कि ईको टूरिज्म प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा के लिए सबसे उत्तम साधन है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न पर्यटक स्थलों को विस्तृत रूप से ईको टूरिज्म में रूप में विस्तारित किया जा रहा है जिसकी पूर्ण रूप रेखा वन विभाग द्वारा बना दी तैयार कर ली गयी है। उन्होंने कहा कि वन विभाग पर्यटन विभाग के साथ मिलकर शीघ्र ही इसको मूर्त रूप देगा। इससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा तथा स्थानीय निवासियों के लिए रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को बढ़ाने में गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि केरल तथा अन्य प्रदेशों की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी ईको टूरिज्म का हब स्थापित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश आउटडोर कैंपिंग तथा नाइट सफारी जैसी गतिविधियों से लैस होगा।
आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा कि उत्तर प्रदेश प्राकृतिक रूप से काफी समृद्ध है तथा यहां ईको टूरिज्म की अपार संभावनायें हैं। अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में पर्यटक स्थलों तथा धार्मिक स्थलों को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित एवं विस्तारित करते हुए पर्यावरण को विशेष रूप संरक्षित किया जा रहा है।
उद्घाटन सत्र में निदेशक (प्रशासन), ईको टूरिज्म विकास बोर्ड, महानिदेशक पर्यटन ने स्वागत संबोधन करते हुए ईको पर्यटन के भविष्य और संभावनाओं पर विचार रखा। कार्यक्रम में गंगा नदी बेसिन में ईको टूरिज्म के विकास हेतु उप्र. ईको टूरिज्म विकास बोर्ड एवं WII-NMCG के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया।
कार्यक्रम में पांच सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विषयों पर परिचर्चा हुई। पहले सत्र में ‘Uttar Pradesh, The land of Majestic tigers’ पर चर्चा हुई। दूसरे सत्र में ‘Uttar Pradesh, Cradle of Indian Ornithology’ विषय पर परिचर्चा आयोजित की गई। तीसरे सत्र में ‘Uttar Pradesh, Pristine landscapses and beyond’ पर चर्चा हुई। चौथे सत्र में ‘Uttar Pradesh, Ex-Situ Conservation and Eco Tourism’ पर ध्यान केंद्रित किया गया। अंतिम सत्र में ‘Learning exchange with Experts: Pathways, signposts & milestones’ पर विशेषज्ञों के साथ विचारों का आदान-प्रदान हुआ। परिचर्चा में पैनल के सदस्यों के साथ स्टेकहोल्डर्स की मौजूदगी रही। इस दौरान विशेषज्ञ और संबंधित क्षेत्र से जुड़े लोग अपने-अपने विचार साझा किये।