भारतीय मीडिया फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव बागी सम्राट मलखान सिंह “दद्दा” जिसके नाम से कांपती थी चंबल घाटी
उत्तर प्रदेश
आज लोग मलखान सिंह से डरते नहीं हैं। उनके साथ कोई सेल्फी लेता है तो कोई दूर से देखकर यह सोच में पड़ जाता है कि, ये वहीं मलखान है जिनके नाम से कभी चंबल घाटी थरथराती थी। चंबल का बीहड़ जिस बागी के नाम से थरथर कापता था उस बागी मलखान सिंह ने आत्म समर्पण कर एक नई जिंदगी की शुरुआत कर दी है।
आप समर्पण के बाद राजनीति में कदम रखते हुए बीजेपी फिर उसके बाद बीजेपी से किनारा कर कांग्रेस में शामिल हुए। 2014 में कभी नरेन्द्र मोदी के लिए प्रचार करने वाले मलखान सिंह का कहना है कि उन्होंने अत्याचार और अन्याय महिलाओं पर बढ़ते अपराध के खिलाफ बंदूक उठाई थी।
पूर्व दस्यू मलखान सिंह
2014 में किया था नरेन्द्र मोदी के लिए प्रचार।
वो 1980 का दशक था। जब मलखान सिंह के नाम की तूती बोला करती थी। उनका नाम सुन लोग कांप जाते थे। इन्हें भारत का दस्यु किंग कहा जाता था। साल 1982 में तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के शासन काल में बागी मलखान सिंह ने आत्मसमर्पण किया था। हथियार छोड़ अब मलखान अपने गांव में जीवन में व्यतीत कर रहे हैं। जिस मलखान सिंह के हाथ में AK-47 की गरजना से चंबल थर्राता था,
2022 में भारतीय मीडिया फाउंडेशन के संस्थापक एके बिंदुसार के द्वारा ज्वाइन की भारतीय मीडिया फाउंडेशन संस्थापक सदस्य टीम में हुए शामिल।
कहां भ्रष्टाचार के खिलाफ स्वतंत्र पत्रकार के रूप में उठाऊंगा आम जनता की आवाज गरीबों और पीड़ितों की आवाज।
15 साल बीहड़ों पर किया राज
दस्यु सरगना मलखान सिंह ने चंबल के बीहड़ों में 15 साल तक अपना राज चलाया। उसी समय मप्र से सटे उत्तरप्रदेश के क्षेत्रों में भी कुछ डकैत खड़े हो रहे थे। जिनमें में से एक फूलन देवी भी थी। फूलन ने अपने साथ हुए गैंगरेप का बदला लेने के लिए बीहड़ में कूदी थीं और
22 उच्च जाति के लोगों को मौत की नींद सुलाया था। लेकिन चंबल के इलाके में सबसे ज्यादा खौफ मलखान सिंह और उसके गिरोह का था। मलखान सिंह चंबल के इलाकों में पैदल ही यात्रा करते थे। कोई स्थायी ठिकाना नहीं होता था। मलखान हमेशा अस्थायी शिविर बनाकर में अपने साथियों के साथ रहते थे। एक जगह कभी डेरा नहीं डाला। जहां खड़ी किनारों वाली गहरी और संकरी घाटियां रहा करती थीं। वहां वे डेरा डालते थे। पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव में मलखान सिंह बीजेपी के लिए प्रचार करते नजर आए थे। 2019 में भी मलखान ने बीजेपी के लिए ही वोट मांगे थे,
मलखान सिंह पर दर्ज 94 केस
चंबल इलाके की है। जहां लंबे समय तक राज करने के बाद मलखान सिंह को उनके प्रतिद्वंद्वियों ने दस्यु किंग की उपाधी दी थी। मलखान सिंह करीब 4 दशकों तक चंबल में डकैत रहे। बाद में उन्होंने कांग्रेस शासनकाल में तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। मलखान सिंह का कहना था कि वे डकैत नहीं हैं। उन्होंने गांव के मंदिर की जमीन के लिए बंदूक उठाई थी। जमीन मंदिर के नाम होते ही समर्पण कर दिया था। साल 1982 में मलखान सिंह ने सरेंडर किया था। इस दौरान तक मलखान सिंह और उनके गिरोह पर डकैती के साथ अपहरण और हत्या जैसे 94 मामले दर्ज किये गये। तब मलखान सिंह को पकड़ने के लिए सरकार ने 70 हजार रुपये का इनाम भी रखा था। वहीं सरकार की ओर से भी मलखान सिंह के पास सरेंडर करने का संदेश भिजवाया गया।
सरपंच के खिलाफ उठाई थी बंदुक
पूर्व दस्यू मलखान सिंह को उसूलों का पक्का माना जाता है। चंबल में मलखान ने सरपंच की ज्यादती के बाद उसके खिलाफ बंदूक उठाई और बिहड़ में कूद गए थे। एक बार अपने दुश्मन सरपंच की लड़की को मलखान गिरोह के सदस्यों ने पकड़ लिया था।जब इस बात की खबर मलखान को हुई तो उसने गिरोह के लोगों फटकार लगाई थी। साथ ही पैर छूकर लड़की को भेंट देकर सम्मान के साथ विदा किया था।