मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित हो: जगद्गुरु शङ्कराचार्य अयोध्या धाम
अयोध्या धाम
अपने समय में धर्मसम्राट् कहे गए ब्रह्मलीन स्वामी श्री करपात्री जी महाराज ने हम सभी धर्मिकों के लिए धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो,
प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, गौ माता की जय हो, गौ हत्या बन्द हो के नारे दिए थे; जो आज भी सर्वजनस्वीकृत हैं और गुञ्जयमान हो रहे हैं। पर सचाई यह है कि उन्होंने इन नारों के साथ तीन नारे और दिए थे जिन्हें अब भुला दिया गया है पर वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनके और तीन नारे थे- मन्दिरों की मर्यादा सुरक्षित हो। शासन विधान शास्त्रीय हो। भारत अखण्ड हो।
हम आज अयोध्या की पवित्र धरती से इन तीनों नारों को फिर से अपने उदघोषों में सम्मिलित कर रहे हैं और धर्माचार्यों का आह्वान कर रहे हैं कि वे मन्दिरों की मर्यादा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट हों। रामालय ट्रस्ट की बैठक बुलाकर हम इस पर चर्चा करेंगे। यदि प्रस्ताव पारित होता है तो रामालय ट्रस्ट विश्व के सभी हिन्दू मन्दिरों की मर्यादा के संरक्षण का काम आरम्भ करेगा।
ज्ञात हो कि रामलय ट्रस्ट समग्र हिन्दू समाज का प्रतिनिधित्व करता है क्योंकि उसमें सभी शङ्कराचार्य, सभी वैष्णवाचार्य, सभी आखड़े और विशिष्ठ जन सम्मिलित हैं ।
*अयोध्या में मङ्गलवार को लायेंगे पञ्चगव्य प्राशन फलक*
देश भर में तिरुपति लड्डू के बारे में आने वाली सूचनाओं से उन लड्डू को प्रसाद के रूप में खा चुके हिन्दू समाज के लोग ग्लानि का अनुभव कर रहे हैं। उस ग्लानि को मिटाने के लिए पञ्चगव्य प्राशन की व्यवस्था की गई है। पञ्चगव्य न बना सकने की स्थिति वाले लोगों के लिए हमारे गौ सांसद् पं सन्तोष दुबे जी के नेतृत्व में अयोध्या में आगामी मङ्गलवार को पांच स्थानों पर पञ्चगव्य प्राशन फलकों की स्थापना की जाएगी जिससे सहजता से अयोध्या के वे लोग पञ्चगव्य प्राशन कर अपने हृदय की ग्लानि को मिटा सकें।
*हमें भाजपा विरोधी कहा जा रहा है पर समझने की जरूरत हैं कि हमारी मजबूरी क्या है?*
हमने कभी देश के किसी भी पार्टी का विरोध या समर्थन नहीं किया फिर भी हमारी छवि भाजपा या अन्य पार्टी विरोधी बनाई जाती रही है। हाॅ, हमने भाजपा (जो अनेक वर्षों से केन्द्र और कई राज्यों में सत्ता में है) के कुछ मुद्दों का विरोध किया हैं क्योंकि उन विषयों पर पार्टी और उनके नेताओं द्वारा हिन्दू धर्म के प्रति बड़ी क्षति की जा रही थी जैसे मूर्ति और मन्दिरों को तोड़कर मलबे मे फेकना आदि।
ताजा मामला देख लें गौ हत्या के समर्थन का है। हम जब गौरक्षा/गोप्रतिषठा की बात को लेकर देश के सभी राज्यों के राजधानी की यात्रा कर रहे हैं तो नागालैण्ड भाजपा लिखित रूप से न केवल उसका विरोध कर रही है अपितु अपनी सरकार के कैबिनेट से हमारे नागालैण्ड प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा रही है और लिखित रूप से गौहत्या का समर्थन कर रही है। यही नहीं, भाजपा के सत्ता में रहते ही भारत विश्व की गोमांस निर्यातक देशों में दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। अरुणाचल में हमारी यात्रा का विरोध करने वाला छात्रनेता कह पा रहा है कि शङ्कराचार्य जी गौहत्या रोकने अरुणाचल आएं उससे पहले उत्तर प्रदेश को रोकें जो ऑकडों के अनुसार देश का सबसे बड़ा गोमांस निर्यातक प्रदेश है।
आखिर हम क्या करें ? गौहत्या करने वाले और उसका समर्थन करने वालों का विरोध न करें ? एक हिन्दू धर्माचार्य होने के नाते यह हमसे कैसे हो सकता है ? इसलिए हम भाजपा सहित उन तमाम पार्टियों का विरोध करने के लिए बाध्य हैं जो सत्ता में रहकर भी गौहत्या रोकने के बजाय उसे बढावा दे रही हैं।
*हर हिन्दू गोमतदाता बने*
अब समय आ गया है कि हर हिन्दू गौमाता के प्राण और उनकी प्रतिष्ठा को बचाने का लिए गोमतदाता बने क्योंकि जिन पार्टियों और नेताओं के भरोसे हम आजादी के 78 साल रहे उन्होंने हमारे भरोसे को तोड़ दिया है। अब मतदाताओं को कमर कसनी होगी और उसी पार्टी और प्रत्याशी को मतदान का सङ्कल्प लेना होगा जो गौमाता के प्राण और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए शपथपूर्वक घोषणा कर चुका हो।
*मन्दिरों की चढोत्तरी से हो गौओं की सेवा*
मन्दिरों की चढोत्तरी से मन्दिरों में विराजमान देवता की सेवा से बचे पैसों से लोक कल्याण के कार्य होने उचित हैं। उनमें सबसे पहले; जैसे घर में पहली रोटी गाय की होती है वैसे ही पहली सेवा गाय की होनी चाहिए। हर मन्दिर की गौशाला होगी तो न केवल आस-पास के लोगों को रोजगार मिलेगा अपितु शुद्ध दूध, घी आदि भी मिलेगा और उनके गोबर गोमूत्र आदि से उगाए गये शुद्ध अनाज से लोगों का स्वास्थ्य भी ठीक होगा। तिरुपति मन्दिर को इसकी पहल करनी चाहिए और आगे से अपनी गौशाला के घी से ही भगवान् के नैवेद्य का लड्डू बनाना चाहिए।
*हमारा आन्दोलन रामा गाय के लिए*
हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हमारा यह गौप्रतिषठा आन्दोलन गाय नाम से प्रचलित सभी जानवरों/मवेशियों के लिए नहीं है बल्कि केवल उन गायों के लिए है जो शत-प्रतिशत शुद्ध देसी नस्ल की हैं और सङ्करीकृत नहीं है। उन्हें ही वेदलक्षणा, देसी शुद्ध नस्ल कहा जाता है जिन्हें हमने *रामा* नाम दिया है। कुल गाय नाम से प्रचलित पशुओं में से उनका प्रतिशत अनुमानतः तीस ही है।
*श्रीरामजन्मभूमि की प्राप्ति में सहयोगियों का सम्मान करने हम फिर से अयोध्या आएंगे*
श्रीरामजन्मभूमि की प्राप्ति हम हिन्दुओं के पराक्रम और देवसमर्पण की वह गाथा है जो सदियों तक गाई जाएगी। अभी सबका सम्मान नहीं हुआ है। अतः इस विषय पर अनुसन्धान करने के अनन्तर हम पुनः अयोध्या आएंगे और सबका यथोचित सम्मान कर कृतकृत्यता का अनुभव करेंगे।
अभी हमारे बीच में सन्तोष दुबे जी हैं जिन्होंने प्रण किया था कि जब तक भगवान् का घर नहीं बनता हम अपना घर नहीं बनाएंगे। हम इनसे कह रहे हैं कि अब अपना घर बनवाना शुरू करें क्योंकि राम जी का घर बनना आरम्भ हो चुका है। इसके लिए शुरुआती कुछ राशि भी शुभ के रूप में इनको देकर जाएंगे। पं देवीदीन पाण्डेय जी की 11वीं पीढ़ी दिग्विजयनाथ जी यहाँ हैं। रामचन्द्रधर जी यहाँ हैं। हम सबका सम्मान करते हैं।
हम आज राजकोट की परिक्रमा कर रामलला से लेंगे गौरक्षा सामर्थ्य का आशीर्वाद और लखनऊ होते हुए देश के सभी प्रदेशों की राजधानियों में गौ प्रतिष्ठा ध्वज फहराते हुए 26 अक्टूबर को वृन्दावन में भगवान् श्री बिहारी जी का दर्शन कर इस यात्रा का समापन करेंगे।
*रामलला से हमारी टेक है। इसीलिए दर्शन नहीं, परिक्रमा कर ही आशीर्वाद मांग रहे*
रामजी से हमारी प्रार्थना है –
रामलला हम आएंगे
पर मुख तभी दिखाएंगे
पशु सूची से गौ माता को
हटवाकर दिखलाएंगे।
राष्ट्र माता की शुभ पदवी पर
जब उनको बैठाएंगे।
स्वर्णपात्र में दुहकर “अमृत”
आपको भोग लगाएंगे।
रामलला तब आएंगे
रामलला हम आएंगे।