सब-इंस्पेक्टर रणजीत यादव की कहानी “कर्म फल” का प्रसारण आकाशवाणी अयोध्या के रेडियो केंद्र से
अयोध्या
जनपद-अयोध्या के पुलिस महानिरीक्षक कार्यालय में नियुक्त उपनिरीक्षक रणजीत यादव खाकी वाले गुरूजी द्वारा लिखित कहानी “कर्म फल” का का प्रसारण अयोध्या के आकाशवाणी रेडियो स्टेशन से उनकी ही आवाज में होगा। पर्यावरण जागरूकता पर आधारित यह यह कहानी 4 नवंबर को सुबह 8बजकर 30 मिनट पर प्रणाम अयोध्या कार्यक्रम में प्रसारित की जाएगी। यह कहानी समाज में गिरते हुए नैतिक मूल्यों को रेखांकित करती है। कहानी के माध्यम से लेखक ने संदेश दिया है कि हमें अपने कर्तव्य पथ से कभी भी विचलित नही होना चाहिए। इसके पूर्व भी रणजीत की कहानिया बड़े घर की बहू,जिम्मेदारी,भूरा बंदर,पहली मुलाकात,वनदेवी का चश्मा,भयानक डर से मौत,सच्ची कमाई का प्रसारण लखनऊ और जनपद-अयोध्या के रेडियो स्टेशन/दूरदर्शन केंद्र से हो चुका है। रणजीत यादव आजमगढ़ जनपद के एक छोटे से गांव भदसार के निवासी हैं,इन्होंने बीएचयू से दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त किया है। बचपन से ही लेखन कार्य मे रुचि रखने वाले रणजीत ने गर्मी के मौसम में बेजुबान पक्षियों के लिए थोड़ा सा दाना थोड़ा सा पानी मुहिम भी चलाते हैं। पुलिस लाइन जनपद अयोध्या में आयोजित गणतंत्र-दिवस परेड में 6 बार उद्घोषक की भूमिका का सफल निर्वहन कर चुके रणजीत पौधरोपण, रक्तदान, यातायात जागरूकता, नशामुक्ति,गरीब-असहाय की सेवा करने जैसे सामाजिक कार्यो में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहते हैं। थाना क्षेत्र में होने वाले कार्यक्रमों में जब रणजीत यादव की ड्यूटी लगती हैं तो ये अपनी लिखित कविता की कुछ लाइनें सुनाने के साथ जनता को हेलमेट/सीटबेल्ट/नशामुक्ति के प्रति जागरूक करना नहीं भूलते हैं।
मिल चुके हैं कई पुरस्कारों में मुख्यत: नई दिल्ली में नेशनल आइकोनिक पर्सनालिटी अवार्ड,कानपुर में खाकी सम्मान, गाजीपुर में सहकार सम्मान,अयोध्या रत्न सम्मान से दो बार सम्मानित, नंदी ग्राम रत्न सम्मान भरतकुंड महोत्सव अयोध्या में,अमेजिंग इंडियन अवार्ड ताज होटल नई दिल्ली में, स्वामी ब्रह्मानंद सम्मान हमीरपुर में, अयोध्या गौरव सम्मान अयोध्या महोत्सव में, राष्ट्रीय धरोहर सम्मान प्रतापगढ़, श्रीराम रत्न सम्मान गणेश महोत्सव अयोध्या में मिल चुका है। सुरक्षा के साथ सेवा का जज्बा लिए रणजीत समय निकालकर भिक्षावृत्ति से जुड़े 70 बच्चों को 2021 से शिक्षा दे रहे हैं इसी कारण से लोग इन्हें खाकी वाले गुरूजी नाम से बुलाते हैं।