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अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येंद्र सिंह से पांच अहम सवाल, जिनका जवाब आम जनता आज तक नहीं पा सकी – पण्डित अंतरिक्ष तिवारी

अयोध्या

. 40 भू-माफियाओं की सूची का क्या हुआ?अयोध्या विकास प्राधिकरण ने भू-माफियाओं की एक सूची तैयार करने का दावा किया था, लेकिन आज तक न तो कोई ठोस कार्रवाई हुई, न ही कोई परिणाम सामने आया। क्या यह सूची महज एक दिखावा थी? क्या इसके पीछे भू-माफियाओं और अधिकारियों की सांठगांठ है? प्राधिकरण की यह नाकामी भू-माफियाओं को बढ़ावा देने का मुख्य कारण बन चुकी है। अब सवाल यह है कि क्या इस सूची की कोई असलियत थी, या यह केवल जनता को भ्रमित करने का एक तरीका था?2. नालों, तालाबों और नजूल की जमीनों पर अवैध प्लॉटिंग और निर्माण का जिम्मेदार कौन?
नालों, तालाबों और नजूल की जमीनों पर अवैध प्लॉटिंग और निर्माण हो रहा है, और यह सब अयोध्या विकास प्राधिकरण की नाक के नीचे हो रहा है। भू-माफिया अपना काम कर जाते हैं, अधिकारी रिश्वत लेकर आंख मूंद लेते हैं। इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है। क्या यह स्पष्ट नहीं है कि प्राधिकरण की लापरवाही के कारण माफियाओं के हौसले बढ़ रहे हैं और अवैध निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है?3. मानक विहीन निर्माण पर प्राधिकरण क्यों मौन है?अयोध्या में मानकों की अनदेखी कर होटल, रेस्टोरेंट और जिम जैसे व्यावसायिक भवन बनाए जा रहे हैं। इन भवनों में न पार्किंग की व्यवस्था है, न आपातकालीन निकासी के लिए कोई प्रबंध है। अगर कोई बड़ी दुर्घटना होती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? क्या इन निर्माणों को अनुमति देने वालेअधिकारियों ने रिश्वत लेकर इन्हें मंजूरी दी है?4. मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में पार्किंग की अनदेखी क्यों?कई बड़े मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग की सुविधा के बनाए गए हैं। आम जनता को अपनी गाड़ी सड़क पर पार्क करने के लिए मजबूर किया जाता है, और फिर गाड़ी का चालान आम का होता है। लेकिन मॉल और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के मालिकों पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? क्या अयोध्या विकास प्राधिकरण इनकी अनदेखी कर रहा है, या फिर इन्हें बचाने के प्रयास हो रहे हैं?5. विकास प्राधिकरण से संबंधित सरकारी योजनाओं का लाभ केवल 30% जनता तक क्यों?केंद्र और राज्य सरकारें आम जनता के लिए कई योजनाएं लागू करती हैं, लेकिन उनका 70% लाभ भ्रष्ट अधिकारियों, उनके करीबी लोगों और उनके सहयोगियों तक ही सीमित रहता है। आम जनता के लिए केवल 30% योजनाओं का लाभ बचता है। क्या यह भ्रष्टाचार का संकेत नहीं है, जो सरकारी योजनाओं को आम जनता तक पहुंचने से रोकता है?
सत्येंद्र सिंह से जुड़े सवाल:
अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सत्येंद्र सिंह से इन सवालों का जवाब मांगना जरूरी हो गया है। उनके कार्यकाल में इन मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। क्या वे इन सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हैं? या फिर यह आरोप लगाया जाएगा कि उनके कार्यकाल में प्राधिकरण सिर्फ कागजी कार्यवाही तक सीमित रहा है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया है?
अंत में भुगत रही है आम जनता:
इन सवालों के जवाब भले ही न आएं, लेकिन यह स्पष्ट है कि सबसे ज्यादा नुकसान आम जनता को ही होता है। जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी की कमाई एक जमीन खरीदने और मकान बनाने में लगा दी, वही भू-माफिया और अधिकारियों की मिलीभगत के जाल में फंसकर बर्बाद हो जाता है। भू-माफिया अपना काम कर लेता है, अधिकारी रिश्वत लेकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं, और नेता अपनी शक्ति से सब कुछ दबा देते हैं। कार्रवाई केवल आम जनता पर होती है। मकान और दुकानें गिराई जाती हैं, और इनसे संबंधित चालान भी आम जनता के ही होते हैं। न्याय पाने के लिए कोर्ट कचहरी का चक्कर भी आम जनता ही लगाती है।
अयोध्या विकास प्राधिकरण की नाकामी ने भू-माफियाओं को बढ़ावा दिया है, और आम जनता को भ्रष्ट अधिकारियों, माफियाओं और पूंजीपतियों के जाल में फंसा दिया है। अब समय आ गया है कि जनता जागे और इस भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करे।

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