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महत्वपूर्ण है कविता में स्मृति का प्रयोग: स्वप्निल श्रीवास्तव

अयोध्या
 जनवादी लेखक संघ, फैजाबाद के तत्वावधान में ‘जनपद की कविता’ आयोजन में लखनऊ के कवियों का काव्यपाठ स्थानीय आभा होटल के सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि स्वप्निल श्रीवास्तव ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कविता में स्मृति के प्रयोग को महत्वपूर्ण बताते हुए काव्य-परम्परा में स्मृति के इस्तेमाल को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वे कविताएँ जिनमें मनुष्य का जीवन, प्रकृति और उसका संसार परिलक्षित होते हैं, हमें सहज ही आकर्षित करती हैं। उन्होंने कविता में लोक और छन्द के महत्व को आवश्यक बताते हुए कहा कि जीवन का लोकराग और संगीत ही कविता में उतर आता है। उन्होंने लखनऊ से आए हुए कवियों की कविताओं की मुक्तकंठ से सराहना की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए जलेस, फैजाबाद के सचिव डा. विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि ‘जनपद की कविता’ कार्यक्रम जनवादी लेखक संघ, उ.प्र. की कविता केन्द्रित कार्यक्रम-शृंखला का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके अन्तर्गत विभिन्न जनपदों के वे कवि जो समकालीन हिन्दी कविता की मुख्यधारा से जुड़े हैं, उनका काव्यपाठ आयोजित किया जाता है। कविता के वैचारिक सम्प्रेषण और उसकी पहुँच को और अधिक व्यापक बनाने के लिए इन कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर किया जा रहा है। उन्होंने कार्यक्रम की संकल्पना के लिए जलेस, उ.प्र. के सचिव डॉ. नलिनरंजन सिंह का धन्यवाद भी ज्ञापित किया। लखनऊ से आए विशिष्ट कवि और जनसंदेश टाइम्स के सम्पादक सुभाष राय ने अपनी हालिया चर्चित पुस्तक ‘दिगम्बर विद्रोहिणी: अक्क महादेवी’ से कुछ छाया कविताओं का पाठ किया और ‘खेला होबे’ जैसी चर्चित कविता से श्रोताओं को आनंदित किया। जलेस, उ.प्र. के सचिव और कवि-प्राध्यापक नलिन रंजन सिंह ने ‘स्थगित समय’, ‘हत्यारे’, ‘चेहरा’, ‘आस्था का गर्व’, ‘कोहरा और रंग’, ‘रीढ़’ और ‘नफरत’ जैसी कविताओं का पाठ किया। मलखान सिंह सिसौदिया सम्मान से पुरस्कृत युवा कवि ज्ञान प्रकाश चौबे ने कई कविताओं का पाठ करते हुए अपनी ‘मतदान’ कविता से लोगों को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने प्रकृति के पक्ष में कविताएँ रचते हुए पानी, हवा, पेड़ को महत्वपूर्ण बताया और जीवन के पक्ष में मतदान करने की अपील करती कविता सुनाई। वरिष्ठ कवयित्री आभा खरे ने स्त्री संदर्भों को केंद्र में रखकर कई कविताओं का पाठ किया। उनकी भावना प्रधान कविताओं ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। युवा कवयित्री शालिनी सिंह ने लैंगिक विभेदों पर आधारित कई कविताओं का पाठ किया। उन्होंने हर कमजोर और छोटी चीज को स्त्रीलिंग में संप्रेषित कर देने की प्रवृत्ति की ओर संकेत किया और पुरखों की विरासत से जुड़े संदर्भों को भी कविता के माध्यम से व्यक्त किया। ‘कितनी कम जगहे हैं’ कविता-संग्रह से चर्चित सीमा सिंह ने ‘इमामदस्ता’, ‘आश्वस्ति’, ‘पताकाएँ’ आदि कविताओं का पाठ किया। उनकी कविता ‘आरे आवा पारे आवा’ इतनी भावनाप्रधान कविता थी कि पाठ करते हुए ही उनका गला रुँध गया। उनकी अधूरी कविता का पूरा पाठ शालिनी सिंह ने किया। युवा कवि सलमान खयाल ने ‘मेडूसा’ जैसे मिथक को केंद्र में रखकर एक बेहतरीन कविता सुनाई। कुछ अन्य ताजा और टटके बिंबों वाली उनकी कविताओं ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारम्भ में युवा कवयित्री कंचन जायसवाल ने आमंत्रित कवियों का विस्तृत परिचय देते हुए उनकी काव्ययात्रा का विस्तारपूर्वक विवरण प्रस्तुत किया। युवा कवयित्री गरिमा सिंह, साधना सिंह, कंचन जायसवाल, पूजा श्रीवास्तव, सत्यभान सिंह, मुज़म्मिल फिदा, इल्तिफात माहिर, नीरज सिन्हा नीर, राजीव श्रीवास्तव ने आमंत्रित कवियों को स्मृतिचिह्न प्रदान कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम के अन्त में आमंत्रित कवियों और उपस्थित प्रबुद्ध वर्ग का धन्यवाद ज्ञापन सत्यभान सिंह ‘जनवादी’ द्वारा किया गया। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना विशेष सहयोग देने वाले सदस्यों- रामदास ‘सरल’, पूजा श्रीवास्तव, राजीव श्रीवास्तव, जे.पी. श्रीवास्तव, अखिलेश सिंह, महावीर पाल के प्रति विशेष धन्यवाद ज्ञापित किया। अपने वक्तव्य में सत्यभान सिंह जनवादी ने परिवर्तित होते समाज में कविता और उससे जुड़ी संवेदनशीलता की ओर बल दिया और कहा कि जलेस, फैजाबाद निरंतर इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। ‘जनपद की कविता’ आयोजन में जनपद के प्रबुद्ध वर्ग से जनमोर्चा की सम्पादक सुमन गुप्ता, वरिष्ठ आलोचक रघुवंशमणि, चिंतक-कवि आर.डी.आनन्द, अयोध्या प्रसाद तिवारी, लेखक-पत्रकार अनिल अग्रवाल, गुलजार समिति की अध्यक्ष पूनम सूद, कवि आशाराम जागरथ, कवयित्री ऊष्मा वर्मा, विनीता कुशवाहा, निर्मल कुमार गुप्ता, जगन्नाथ पाण्डेय, आर.एन. कबीर, मनोरमा साहू, अर्चना गोस्वामी,  कवि प्रदीप कुमार सिंह, पत्रकार शैलेष कुमार यादव, एस.एन. सिंह, सूर्यकांत पाण्डेय, आशीष अंशुमाली, आनन्द स्वरूप गौड़, निशी छाबड़ा, रीता शर्मा, रेखा शीतल, अजय रावत सहित जनपद के विभिन्न लेखक, कवि, संस्कृतिकर्मी और समाजसेवी उपस्थित थे।

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