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अफ़्रीका के लोग सनातन धर्म का महत्व समझ लें तो व्यापक प्रसार होगा  : श्रीवास दास वनचारी, इस्कॉन, घाना

अफ्रीका
     सनातन धर्म सनातन एवं शाश्वत है। सनातन धर्म लाखों वर्ष पुराना है। सनातन धर्म सभी धर्मों का मूल है। प्रभुपाद स्वामीजी ने अमेरिका में इस्कॉन की स्थापना की। इसके माध्यम से उन्होंने सनातन धर्म को पूरी दुनिया में फैलाया। उन्होंने सनातन धर्म के विभिन्न ग्रंथों का विश्व की विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया। महाभारत का पूरे विश्व में विशेष महत्व है। अफ्रीका में सनातन धर्म बड़े पैमाने पर फैल रहा है। अफ्रीका में 57 हिंदू मंदिर हैं। अफ़्रीका में रामायण और भगवत गीता का अध्ययन किया जाता है। वहां ईसाई हिंदू धर्म का विरोध करते हैं। वे नहीं चाहते कि अफ़्रीका में हिंदू धर्म का प्रसार हो; लेकिन हम उनका सामना ‘हरिनाम’ कहकर करते हैं, *ऐसा अफ्रीका (घाना) से आये इस्कॉन के श्रीवास दास वनचारी ने कहा ।* वे हिंदू जनजागृति समिती द्वारा श्री रामनाथ देवस्थान, फोंडा, गोवा मे आयोजित वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव में बोल रहे थे ।
       इस अवसर पर व्यासपीठ पर श्रीवास दास वनचारी (इस्कॉन, घाना, आफ्रिका), आचार्य राजेश्वर (राष्ट्रीय अध्यक्ष, संयुक्त भारतीय धर्मसंसद, राजस्थान), प.पू. संत डॉ. संतोष देवजी महाराज (संस्थापक, शिवधारा मिशन फाऊंडेशन, अमरावती, महाराष्ट्र) एवं सद्गुरु नंदकुमार जाधव (धर्मप्रचारक संत, सनातन संस्था, महाराष्ट्र) उपस्थित थे।
      श्रीवास दास वनचारी ने आगे कहा,* अफ़्रीका के लोग कुम्भकर्ण की नींद सो रहे हैं। यदि वे सनातन धर्म के महत्व को समझेंगे तो सनातन धर्म वहां और भी अधिक फैलेगा। घाना में बहुत से लोग हिंदू धर्म अपनाते हैं। वहां सनातन धर्म के तहत सामाजिक और आध्यात्मिक कार्य चल रहा है।

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