अयोध्या को विकास से वंचित रखने के लिए समाजवादी पार्टी की मानसिकता है : महापौर श्री गिरिशपति त्रिपाठी
अयोध्या धाम
दीपोत्सव में सपा सांसद अवधेश प्रसाद को आमंत्रित न करने के बयान पर महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी का काउंटर, कहा राजनीति भाजपा नहीं सपा कर रही है, इसके पीछे राजनीति की मंशा देखी जा रही है, सपा सांसद की प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्था की गई थी, उनके सहयोगियो की भी व्यवस्था की गई थी, सांसद को सद्बुद्धि आए, जनता ने उनको यहां का प्रतिनिधि चुना है लेकिन वह यहां की संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं |
महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी का बयान, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है जिस दीपोत्सव के कारण अयोध्या की पहचान दुनिया भर में बनती चली जा रही है, यह अयोध्या की पहचान से जुड़ा हुआ उत्सव है, उसके पीछे राजनीतिक मंशा देखी जा रही है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, उनके लिए उनके प्रोटोकॉल के अनुरूप बैठने की व्यवस्था की गई थी, उनके सहयोगियों के लिए पास की व्यवस्था की गई थी लेकिन वह उस मानसिकता से आज भी नहीं उबर पा रहे हैं जिस मानसिकता के शिकार होकर उनके मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवा कर हत्या करवाई थी, अयोध्या की सारी गलियों को खून से रंग दिया था, अयोध्या को विकास से वंचित रखने के लिए समाजवादी पार्टी की मानसिकता है,अयोध्या को वर्षों तक इन्होंने विकास से वंचित रखा, आठ आठ घंटे लाइट नहीं आती थी, सड़के गड्ढे में तब्दील हो गई थी, गुंडई अराजकता अपने चरम सीमा पर थी, अयोध्या तमाम विसंगतियों विडंबनाओ से जूझ रही थी, उसके लिए जो लोग जिम्मेदार थे आज भी उस मानसिकता से उबर नहीं पा रहे हैं, अयोध्या के दीपोत्सव की दिव्यता और भव्यता उनको अच्छी नहीं लग रही है, अयोध्या का विकास उनको अच्छा नहीं लग रहा है, उसको पचा नहीं पा रहे हैं, अयोध्या की व्यवस्थाएं सुधर रही है आज पूरी दुनिया अयोध्या के विकास को देख रही है, समाजवादी पार्टी सड़ी गली मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पा रही हैं, अयोध्या का राजनीतिक नेतृत्व सिर्फ राजनीतिक नेतृत्व नहीं होता अयोध्या के प्रतिनिधि हैं उनकी सांस्कृतिक जिम्मेदारी भी है,अयोध्या की पूरी दुनिया में एक सांस्कृतिक भूमिका है, उस भूमिका को आगे बढ़कर यहां के सांसद को निभाना चाहिए, वह नहीं निभा रहे हैं, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, भगवान उनको सद्बुद्धि प्रदान करें, अयोध्या की राजनीतिक नेतृत्व उन्हें जनता ने प्रदान कर दिया है, अयोध्या के सांस्कृतिक नेतृत्व को लेकर उनसे अपेक्षाएं हैं उसके साथ न्याय करें और अपनी बुद्धि को शुद्ध करके यहां की विकास को झुठलाए न, उसके विकास में सहयोगी बने यहां के उत्सव में यहां के अध्यात्म में यहां के धार्मिक व्यवस्थाओं में सहयोगी बने और उसका सहयोग करके वह भी श्रेय ले, वह आगे बढ़ेंगे तो उनको भी श्रेय मिलेगा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि यहां का प्रतिनिधि ऐसी सोच रखता है, जिस नगरी का वह प्रतिनिधित्व करता है उसका इतना बड़ा उत्सव और उसमें पास और कुर्सी को लेकर बवाल खड़ा किया जा रहा है, यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।